होली रंगों का त्योहार है जो हर साल बड़ी धूमधाम से भारत में मनाया जाता है। इस वर्ष होली 10 मार्च को पूरे देशभर में मनाई जाएगी। भारत के अलावा नेपाल में भी इस त्योहार की बहुत मान्यता है और साथ ही पूरे विश्व में जहाँ भी हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग मौजूद हैं वहां इस त्योहार को मनाया जाता है। होली पर्व को फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है। होली के दिन, लोग सारे गिले-शिकवों को भूल जाते हैं और एक साथ मिलकर होली का त्योहार मनाते हैं। होली के दिन लोग एक दूसरे पर रंग और गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। इस त्योहार को प्रेम और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।
होली के मौके पर लोग मनोरंजन के लिए ढोलक और हारमोनियम जैसे भारतीय वाद्य यंत्रों को बजाते हैं और पारंपरिक होली के गाने गाते हैं। होली में हर हिन्दू परिवार में गुजिया, पापड़, और हलवे जैसे पकवान बनाए जाते हैं। इस त्योहार में खासकर बच्चे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। होली से कुछ दिन पहले ही आप बच्चों के हाथ में पानी के गुब्बारे और पिचकारियां देख सकते हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृंदावन की होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
भारत में होली मनाने के पीछे कई प्राचीन मान्यताएं हैं। होली की पूर्व संध्या पर होलिका का दहन किया जाता है। इसके पीछे की वजह यह है कि, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस ने जब खुद को भगवान घोषित कर दिया तो भगवान विष्णु ने उसका घमंड चूर करने के लिए अपनी शक्ति दिखाई। दरअसल हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद ने ही उसे भगवान नहीं माना क्योंकि वो भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप के कई बार मना करने के बावजूद भी प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने की कई कोशिशें की लेकिन प्रहलाद हर बार बच गया। अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया जिसे भगवान शिव का वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं पाएगी उसके पास एक ऐसी चादर थी जिसपर अग्नि का कोई प्रभाव नहीं होता था। लेकिन प्रहलाद को जलाने के मकसद से होलिका जब अग्नि में बैठी तो भगवान विष्णु की कृपा से चादर प्रहलाद के ऊपर आ गई और होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई। इसके बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया और अपने परम भक्त प्रहलाद को दर्शन दिए। तब से होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जिससे यह संदेश दिया जाता है कि बुराई पर हमेशा अच्छायी की जीत होती है।
वैदिक काल से ही भारत में होली का त्योहार मनाया जाता है। वेदों और पुराणों में भी इसका ज़िक्र मिल जाता है। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से होली के त्योहार को नए साल के रूप में देखा जाता है। एक मान्यता के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को पृथ्वी पर पहले मानव मनु का जन्म हुआ था। इस दिन पर कामदेव ने भी पुनः जन्म लिया था। साथ ही इसी दिन भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध करके अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा भी की थी।
भगवान कृष्ण भी होली के दिन को बड़ी धूमधाम से मनाते थे। वही परंपरा आज भी कृष्ण की नगरी मथुरा में देखने को मिलती है। माना जाता है कि कृष्ण अपने बाल सखाओं और राधा के साथ मिलकर होली मनाते थे। राधा के गांव बरसाने में आज भी लट्ठमार होली खेली जाती है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां की होली का ज़िक्र भारतीय ग्रंथों में भी देखने को मिल जाता है।
होली एक ऐसा त्योहार है जिसमें लोग सारे पुराने झगड़ों को भुलाकर एक नयी शुरुआत करते हैं। हालांकि देश के अलग-अलग कोनों में होली अलग-अलग तरह से मनाई जाती है फिर भी कहीं न कहीं इनमें समानता मिल ही जाती है। उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में होलिका दहन के बाद होली खेली जाती है। गुजरात और छत्तीसगढ़ में आदिवासी लोग बड़ी धूमधाम से होली का पर्व मनाते हैं। यहां लोक गीत गाकर भी होली के पर्व को मनाया जाता है। महाराष्ट्र में रंग पंचमी के रूप में होली के पर्व को मनाने की परंपरा है। इसी तरह पूरे भारत में इस रंगोतस्व को मनाया जाता है।
होली का त्योहार लोग बड़ी ज़िंदादिली से मनाते हैं। हालांकि रंगों के इस पर्व में लोगों को सावधानी रखने की सलाह भी दी जाती है। इस त्योहार में लोग कई गलतियां करते हैं जो नहीं की जानी चाहिए और नीचे दी गई बातों पर गौर करना चाहिए।
हमें आशा है कि होली से संबंधित यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। हमारी ओर से आप सब को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं !