वर्ष 2019 में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। यह हिंदू धर्म का बहुत ही पवित्र त्यौहार, जिसे हर साल जनवरी माह में मनाया जाता है। हिंदू जाति के सभी संप्रदाय के लोग इस त्यौहार को बहुत ही खुशी, उत्सव और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। इस खगोलीय घटना का हिन्दू धर्म में धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। इस दिन हिंदू धर्म के लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, फिर ईश्वर की पूजा होती है और घर में अच्छे अच्छे पकवान बनते हैं। इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन भी किया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं कि मकर संक्रांति बहुत ही पवित्र त्यौहार है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए बिना कुछ खाए पीये पूरे दिन व्रत रखा था। मकर संक्रांति को लेकर हिन्दू पौराणिक शास्त्रों में ऐसे और भी उदाहरण देखने को मिलते हैं। संक्रांति का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि यह प्रकृति में परिवर्तन का सूचक भी है। मकर संक्रांति से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है और यह पर्व संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है।
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मकर संक्रांति का पर्व अपने आप में इतना पवित्र है कि इसके बाद से मांगलिक कार्यों के शुरुआत होने लगती है। क्योंकि यह पर्व शुभ नक्षत्रों के साथ आता है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और अश्लेषा नक्षत्र का योग बनता है जो सभी राशियों के लिए फलदायी होता है। ज्योतिष विद्वानों की माने तो इस दिन सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग के साथ-साथ चंद्रमा का कन्या राशि के अश्लेषा नक्षत्र में मौजूद रहना ही अपने आप में शुभ योग को दर्शाता है जिसके चलते यह योग सभी राशियों के जातकों को पुण्य और लाभ प्रदान करता है। इस पर्व की शुद्धता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है।
मकर संक्रांति खुशियों का पर्व है। इस दिन आप महसूस करेंगे कि वातावरण में चारों और खुशी की लहर और सकारात्मक ऊर्जा संचरण करती है। कहते हैं कि इस दिन मौसम काफी ठण्डा और गर्म रहता है। इसलिए इस दिन तिल-गुड़ के लड्डू और अच्छे अच्छे पकवान बनाने की मान्यता है। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं। उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। लोगों में गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद बांटा जाता है। जो एक सामाजिक भाईचारे और समरसता को दर्शाता है।
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इस दिन यदि आपके घर में पूजा, यज्ञ या हवन है तो अपने पूर्वजों और घर के इष्ट देवता को याद करना न भूलें। इससे भविष्य में शुभ कार्यों में विघ्न पड़ने की संभावना कम रहती है।
इस दिन सुबह उठकर यदि आप काले चने के साथ गुड़ मिलाकर किसी गाय या कुत्ते को खिलाएंगे तो आपको इससे बहुत लाभ मिलेगा।
घर के मुख्य द्धार पर आम की पत्तियां लगाने और लाल रंग के हाथ के छापे मारने से भी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
उम्मीद करते हैं कि मकर संक्रांति से जुड़ा हुआ यह लेख आपको पसंद आया होगा। मकर संक्रांति के लिए आपको हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!