पढ़ें वर्ष 2019 के दौरान नामकरण संस्कार का विशेष शुभ मुहूर्त और जानें किस तिथि, दिन, नक्षत्र और तारीख में करें अपने बच्चों का नामकरण संस्कार।
नामकरण संस्कार मुहूर्त 2019 | ||||
दिनाँक | दिन | तिथि | नक्षत्र | समय |
02 जनवरी 2019 | बुधवार | द्वादशी | विशाखा नक्षत्र में | 09:39 - 18:28 |
03 जनवरी 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | अनुराधा नक्षत्र में | 07:15 - 11:03 |
07 जनवरी 2019 | सोमवार | प्रतिपदा | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 07:15 - 18:09 |
09 जनवरी 2019 | बुधवार | तृतीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 07:15 - 14:38 |
18 जनवरी 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:15 - 19:26 |
21 जनवरी 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र में | 10:46 - 19:34 |
25 जनवरी 2019 | शुक्रवार | पंचमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 07:13 - 18:18 |
30 जनवरी 2019 | बुधवार | दशमी | अनुराधा नक्षत्र में | 15:33 - 16:40 |
06 फरवरी 2019 | बुधवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 07:07 - 09:53 |
07 फरवरी 2019 | गुरुवार | द्वितीया | शतभिषा नक्षत्र में | 07:06 - 12:09 |
11 फरवरी 2019 | सोमवार | षष्ठी | अश्विनी नक्षत्र में | 07:03 - 18:12 |
15 फरवरी 2019 | शुक्रवार | दशमी | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:27 - 20:13 |
21 फरवरी 2019 | गुरुवार | द्वितीया | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 06:55 - 19:50 |
04 मार्च 2019 | सोमवार | तृतीया | श्रवण नक्षत्र में | 06:44 - 16:29 |
08 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:40 - 18:51 |
13 मार्च 2019 | बुधवार | सप्तमी | रोहिणी नक्षत्र में | 06:34 - 18:31 |
21 मार्च 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 07:13 - 20:16 |
22 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | हस्त नक्षत्र में | 06:24 - 20:12 |
25 मार्च 2019 | सोमवार | पंचमी | विशाखा नक्षत्र में | 07:03 - 20:00 |
01 अप्रैल 2019 | सोमवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 06:12 - 19:23 |
05 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | रेवती नक्षत्र में | 14:20 - 19:17 |
10 अप्रैल 2019 | बुधवार | पंचमी | रोहिणी नक्षत्र में | 06:02 - 18:57 |
11 अप्रैल 2019 | गुरुवार | षष्ठी | मृगशिरा नक्षत्र में | 06:01 - 10:25 |
12 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | सप्तमी | आर्द्रा नक्षत्र में | 09:54 - 13:24 |
17 अप्रैल 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 05:54 - 18:31 |
19 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | चित्रा नक्षत्र में | 16:42 - 19:29 |
26 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | सप्तमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:45 - 14:40 |
29 अप्रैल 2019 | सोमवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र में | 05:43 - 08:51 |
02 मई 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 06:42 - 19:50 |
06 मई 2019 | सोमवार | द्वितीया | कृतिका नक्षत्र में | 16:36 - 19:34 |
09 मई 2019 | गुरुवार | पंचमी | आर्द्रा नक्षत्र में | 15:17 - 19:00 |
10 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:34 - 19:06 |
15 मई 2019 | बुधवार | एकादशी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 10:36 - 21:18 |
16 मई 2019 | गुरुवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र में | 05:30 - 19:08 |
23 मई 2019 | गुरुवार | पंचमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:27 - 20:46 |
24 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 05:26 - 20:42 |
29 मई 2019 | बुधवार | दशमी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 15:21 - 20:23 |
30 मई 2019 | गुरुवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र में | 05:24 - 20:19 |
31 मई 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | अश्विनी नक्षत्र में | 05:24 - 20:15 |
03 जून 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | रोहिणी नक्षत्र में | 15:32 - 20:03 |
06 जून 2019 | गुरुवार | तृतीया | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:23 - 09:55 |
07 जून 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | पुष्य नक्षत्र में | 07:38 - 18:56 |
12 जून 2019 | बुधवार | दशमी | हस्त नक्षत्र में | 06:06 - 19:28 |
13 जून 2019 | गुरुवार | एकादशी | चित्रा नक्षत्र में | 16:49 - 19:24 |
14 जून 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | स्वाति नक्षत्र में | 05:23 - 10:16 |
19 जून 2019 | बुधवार | द्वितीया | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 13:29 - 19:59 |
27 जून 2019 | गुरुवार | नवमी | रेवती नक्षत्र में | 05:44 - 18:15 |
28 जून 2019 | शुक्रवार | दशमी | अश्विनी नक्षत्र में | 06:36 - 09:11 |
03 जुलाई 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | आर्द्रा नक्षत्र में | 06:36 - 20:09 |
04 जुलाई 2019 | गुरुवार | द्वितीया | पुष्य नक्षत्र में | 05:28 - 20:05 |
08 जुलाई 2019 | सोमवार | षष्ठी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 05:30 - 15:26 |
11 जुलाई 2019 | गुरुवार | दशमी | स्वाति नक्षत्र में | 05:31 - 15:55 |
18 जुलाई 2019 | गुरुवार | द्वितीया | श्रवण नक्षत्र में | 05:35 - 20:52 |
19 जुलाई 2019 | शुक्रवार | द्वितीया | धनिष्ठा नक्षत्र में | 05:35 - 20:03 |
22 जुलाई 2019 | सोमवार | पंचमी | पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में | 10:24 - 20:37 |
24 जुलाई 2019 | बुधवार | सप्तमी | रेवती नक्षत्र में | 05:38 - 18:05 |
29 जुलाई 2019 | सोमवार | द्वादशी | मृगशिरा नक्षत्र में | 08:00 - 18:22 |
01 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र में | 08:42 - 12:11 |
05 अगस्त 2019 | सोमवार | पंचमी | हस्त नक्षत्र में | 05:45 - 19:42 |
07 अगस्त 2019 | बुधवार | सप्तमी | स्वाति नक्षत्र में | 05:46 - 11:41 |
09 अगस्त 2019 | शुक्रवार | नवमी | अनुराधा नक्षत्र में | 10:00 - 19:26 |
15 अगस्त 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | श्रवण नक्षत्र में | 17:59 - 19:02 |
16 अगस्त 2019 | शुक्रवार | प्रतिपदा | धनिष्ठा नक्षत्र में | 05:51 - 20:22 |
21 अगस्त 2019 | बुधवार | पंचमी | अश्विनी नक्षत्र में | 05:53 - 20:06 |
28 अगस्त 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | पुष्य नक्षत्र में | 06:10 - 19:39 |
09 सितंबर 2019 | सोमवार | एकादशी | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 08:36 - 11:33 |
11 सितंबर 2019 | बुधवार | त्रयोदशी | श्रवण नक्षत्र में | 06:04 - 18:36 |
16 सितंबर 2019 | सोमवार | द्वितीया | रेवती नक्षत्र में | 06:06 - 19:49 |
20 सितंबर 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | कृतिका नक्षत्र में | 10:19 - 19:33 |
25 सितंबर 2019 | बुधवार | एकादशी | पुष्य नक्षत्र में | 06:11 - 08:53 |
30 सितंबर 2019 | सोमवार | द्वितीया | चित्रा नक्षत्र में | 06:13 - 12:08 |
02 अक्टूबर 2019 | बुधवार | चतुर्थी | विशाखा नक्षत्र में | 12:52 - 18:46 |
03 अक्टूबर 2019 | गुरुवार | पंचमी | अनुराधा नक्षत्र में | 06:15 - 12:10 |
07 अक्टूबर 2019 | सोमवार | नवमी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 12:38 - 18:26 |
09 अक्टूबर 2019 | बुधवार | एकादशी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 17:19 - 18:18 |
10 अक्टूबर 2019 | गुरुवार | द्वादशी | शतभिषा नक्षत्र में | 06:19 - 18:14 |
14 अक्टूबर 2019 | सोमवार | प्रतिपदा | रेवती नक्षत्र में | 06:21 - 17:59 |
18 अक्टूबर 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | रोहिणी नक्षत्र में | 07:29 - 19:18 |
21 अक्टूबर 2019 | सोमवार | सप्तमी | पुनर्वसु नक्षत्र में | 06:26 - 06:44 |
25 अक्टूबर 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में | 11:00 - 18:51 |
28 अक्टूबर 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | स्वाति नक्षत्र में | 09:08 - 18:26 |
30 अक्टूबर 2019 | बुधवार | तृतीया | अनुराधा नक्षत्र में | 06:32 - 18:31 |
06 नवंबर 2019 | बुधवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र में | 07:21 - 18:04 |
07 नवंबर 2019 | गुरुवार | एकादशी | शतभिषा नक्षत्र में | 06:37 - 08:41 |
08 नवंबर 2019 | शुक्रवार | एकादशी | पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में | 12:24 - 17:56 |
14 नवंबर 2019 | गुरुवार | द्वितीया | रोहिणी नक्षत्र में | 06:43 - 17:32 |
15 नवंबर 2019 | शुक्रवार | तृतीया | मृगशिरा नक्षत्र में | 06:44 - 07:53 |
18 नवंबर 2019 | सोमवार | षष्ठी | पुष्य नक्षत्र में | 06:46 - 17:10 |
22 नवंबर 2019 | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 09:01 - 18:56 |
27 नवंबर 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | अनुराधा नक्षत्र में | 06:53 - 08:12 |
02 दिसंबर 2019 | सोमवार | षष्ठी | श्रवण नक्षत्र में | 06:57 - 18:17 |
06 दिसंबर 2019 | शुक्रवार | दशमी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 07:00 - 16:30 |
12 दिसंबर 2019 | गुरुवार | पूर्णिमा | मृगशिरा नक्षत्र में | 10:42 - 17:37 |
27 दिसंबर 2019 | शुक्रवार | प्रतिपदा | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में | 17:30 - 18:53 |
30 दिसंबर 2019 | सोमवार | चतुर्थी | धनिष्ठा नक्षत्र में | 13:55 - 18:41 |
नाम किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दुनिया में उसकी पहचान उसके नाम से होती है। इसलिए हर कोई चाहता है कि उसकी संतान का नाम ऐसा हो जो बहुत ही सुंदर हो और उसका बहुत ही अच्छा अर्थ निकले क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बालक का जो नाम होता है उसका प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर पड़ता है। यही वजह है कि माता-पिता अपने बच्चे का नाम अपनी इच्छा के अनुसार रखना चाहते हैं। वर्तमान समय में हिंदू धर्म में मुख्य रूप से सोलह संस्कारों को माना जाता है जिन्हें षोडश संस्कार कहते हैं। इन सोलह संस्कारों में नामकरण संस्कार काफी महत्वपूर्ण है। बच्चे के जन्म के बाद नामकरण संस्कार किया जाता है। मुंडन, अन्नप्राशन, विद्यारंभ, कर्णवेध आदि की तरह नामकरण संस्कार भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक संस्कार है।
नाम ही व्यक्ति की पहचान होती है और वही उसकी समाज में पहचान भी बनाती है। यदि किसी व्यक्ति को कुछ कहना हो या फिर उससे कुछ पूछना हो तो सबसे पहले नाम की ही जरूरत पड़ती है। हिंदू धर्म में नामकरण संस्कार एक ऐसा ही कर्म है जिसमें ब्राह्मण को बुलाकर शिशु के नाम का निर्धारण किया जाता है। अर्थात् शिशु के जन्म के बाद उसका नाम रखने की प्रक्रिया को नामकरण कहा जाता है। इसी संस्कार के बाद व्यक्ति समाज में अपनी पहचान बनाता है। हिंदू धर्म में कई संप्रदाय है और सभी में अलग-अलग रीति - रिवाजों से बच्चों के नाम रखे जाते हैं। नामकरण संस्कार मन मुताबिक नहीं बल्कि मुहूर्त के हिसाब से किया जाता है। ब्राह्मण पंचाग देखकर और बच्चे के जन्म की तारीख़ और समय देखकर सही मुहूर्त निकालता है फिर उसी के अनुसार बालक का नामकरण किया जाता है।
हिन्दू धर्म में नाम रखने के लिए नामकरण संस्कार का विशेष विधान है। प्राचीन काल में स्वयं विद्वान ज्योतिषी या पंडित इस संस्कार को रीति और नीति से संपन्न कराते थे। पहले के समय में पंडित बच्चे की जन्म कुंडली का अध्ययन करने के उपरांत उसकी जन्म राशि के आधार पर शिशु के नाम रखते थे। ऐसी मान्यता है कि यदि राशि के हिसाब से नाम रखा जाए तो शिशु के ग्रह शांत रहते हैं और उस पर नकारात्मक शक्तियों का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन अब आधुनिकता के चलते काफी बदलाव आ चुका है। आजकल के माता-पिता पहले से ही अपने बच्चे के नाम सोच लेते हैं या फिर अपने नामों को मिलाकर नाम रख लेते हैं। नामकरण संस्कार इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नामकरण के वक्त किए जाने वाले यज्ञ और हवन से घर के वातावरण की शुद्धि तो होती ही है साथ ही शिशु को भी कई लाभ मिलते हैं। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक शिशु के जन्म के 11 दिन के लेकर अधिकतम 3 महीने तक नामकरण संस्कार करा देना चाहिए। कुछ स्थानों पर कुल परंपरा के अनुसार 100वें दिन बालक का नामकरण किया जाता है।
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शास्त्रों के अनुसार इस धरती पर जन्म लेने वाले हर बच्चे का नामकरण संस्कार होना बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया में शिशु के माता पिता और परिवार के बड़े लोग ब्राह्मण से बात कर नामकरण करने के लिए शुभ मुहूर्त पूछते हैं और फिर उसी दिन इस कार्य को संपन्न किया जाता है। शिशु का नाम जन्म नक्षत्र के अनुसार तय किया जाता है। जिस नक्षत्र में और जिस समय में शिशु का जन्म होता है उसी नक्षत्र के हिसाब से बच्चे का नाम निर्धारित किया जाता है। नामकरण घर, मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर भी किया जा सकता है। शिशु के नामकरण से उसके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और भविष्य उज्जवल होता है। नामकरण संस्कार से आयु एवं तेज में वृद्धि होती है। नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का लौकिक व्यवहार में एक अलग अस्तित्व उभरता है। ऐसी मान्यता है कि यदि बच्चा जन्म के साथ कुछ रोगों के साथ पैदा हुआ है या फिर उसके ग्रह भारी है या उस पर बुरी शक्तियों को प्रभाव है तो नामकरण कराने के बाद बच्चा इस चक्रव्यूह से मुक्त हो जाता है और खुशहाल जीवन व्यतीत करता है।
वैसे तो नामकरण के लिए शुभ मुहूर्त पंडित बताते हैं लेकिन अगर कोई दंपत्ति चाहे तो वह खुद भी अपने बच्चे के लिए इसकी गणना कर सकते हैं, बशर्ते आपको गणित का ज्ञान होना चाहिए। अगर आपने कभी गौर किया हो तो आपको पता होगा कि पंडित किसी भी अवसर के लिए शुभ मुहूर्त की गणना पंचाग के आधार पर करते हैं। यदि आप चाहे तो आप भी पंचाग अपने घर में लाकर नामकरण संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त देख सकते हैं। इसके अलावा आजकल इंटरनेट पर हर चीज उपलब्ध है। जब आप इंटरनेट पर जाकर संबंधित वेबसाइट में लॉगइन करेंगे तो वह आपसे कुछ जानकारी मांगेगा। उन्हें देने के बाद सब चीज आपको पता चल जाएगी। इसके अलावा आजकल पंचांग से संबंधित कई मोबाइल एप्स भी आ चुके हैं। इन एप्स को आप गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड कर आसानी से देख सकते हैं।
ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के 11वें या 12वें दिन कर लेना चाहिए। नामकरण बच्चे के जन्म की 10 दिन की सूतक अवधि के बाद ही किया जाना चाहिए। चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी की तिथि पर नामकरण संस्कार करना अच्छा नहीं माना जाता है। पंडित कहते हैं कि नामकरण करने के लिए वार का महत्व नहीं है, यह किसी भी दिन किया जा सकता है। मृगशिरा, रोहिणी, पुष्य, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, अश्विनी, शतभिषा आदि नक्षत्रों में नामकरण संस्कार करना बहुत शुभ माना गया है। जब भी किसी बच्चे का नामकरण होता है तो उस वक्त उसके दो नाम रखे जाते हैं। इनमें एक प्रचलित नाम होता है और दूसरा गुप्त नाम होता है। वैसे तो नक्षत्र के हिसाब से बच्चे का नाम रखा जाता है लेकिन यदि माता-पिता चाहें तो अपनी इच्छा और कुल परंपराओं के अनुसार भी बच्चे का नाम रख सकते हैं। बच्चे के गुप्त नाम रखने का कारण बच्चे को जातक को मारण, उच्चाटन आदि तांत्रिक क्रियाओं से बचाना है। प्रचलित नाम पर इन सभी क्रियाओं का असर नहीं होता है और बच्चा सुरक्षित रहता है।
जानें वर्ष 2019 के विभिन्न त्यौहारों की तारीख़
हम आशा करते हैं कि नामकरण संस्कार के बारे में हमारा लेख काफी हद तक आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा और इसके माध्यम से आप नामकरण संस्कार को सही मुहूर्त में करवा कर अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार की परेशानियों से बचा पाने में सफल होंगे ।