यहाँ पढ़ें साल 2019 में विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त और जानें आखिर किस तारीख, दिन, नक्षत्र और समय में अपने बच्चे को विद्यारम्भ संस्कार की प्रक्रिया कराना रहेगा शुभ।
विद्यारंभ मुहूर्त 2019 | ||||
दिनांक | वार | तिथि | नक्षत्र | शुभ समय |
18 जनवरी 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | रोहिणी नक्षत्र | 07:15 - 19:26 |
25 जनवरी 2019 | शुक्रवार | पंचमी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 07:13 - 18:18 |
30 जनवरी 2019 | बुधवार | दशमी | अनुराधा नक्षत्र | 15:33 - 16:40 |
01 फरवरी 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | मूल नक्षत्र | 07:10 - 18:51 |
06 फरवरी 2019 | बुधवार | द्वितीय | धनिष्ठा नक्षत्र | 07:07 - 09:53 |
07 फरवरी 2019 | गुरूवार | द्वितीय | शतभिषा नक्षत्र | 07:06 - 18:27 |
08 फरवरी 2019 | शुक्रवार | तृतीया | पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र | 07:05 - 10:18 |
10 फरवरी 2019 | रविवार | पंचमी | रेवती नक्षत्र | 07:04 - 18:15 |
11 फरवरी 2019 | सोमवार | षष्टी | अश्विनी नक्षत्र | 07:03 - 15:21 |
15 फरवरी 2019 | शुक्रवार | दशमी | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:27 - 20:13 |
17 फरवरी 2019 | रविवार | द्वादशी | पुनर्वसु नक्षत्र | 06:58 - 08:10 |
20 फरवरी 2019 | बुधवार | प्रतिपदा | मघा नक्षत्र | 17:37 - 29:53 |
21 फरवरी 2019 | गुरूवार | द्वितीय | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 06:55 - 19:50 |
24 फरवरी 2019 | रविवार | षष्टी | स्वाति नक्षत्र | 06:52 - 19:38 |
28 फरवरी 2019 | गुरूवार | दशमी | मूल नक्षत्र | 06:48 - 19:22 |
01 मार्च 2019 | शुक्रवार | दशमी | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र | 08:39 - 10:42 |
03 मार्च 2019 | रविवार | द्वादशी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 06:45 - 12:29 |
08 मार्च 2019 | शुक्रवार | द्वितीय | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 06:40 - 18:51 |
14 अप्रैल 2019 | रविवार | नवमी | पुष्य नक्षत्र | 14:09 - 20:24 |
24 अप्रैल 2019 | बुधवार | पंचमी | मूल नक्षत्र | 05:47 - 20:22 |
25 अप्रैल 2019 | गुरूवार | षष्टी | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र | 05:46 - 12:47 |
29 अप्रैल 2019 | सोमवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र | 05:43 - 08:51 |
06 मई 2019 | सोमवार | द्वितीय | कृतिका नक्षत्र | 16:36 - 19:34 |
09 मई 2019 | गुरूवार | पंचमी | आर्द्रा नक्षत्र | 05:35 - 19:00 |
10 मई 2019 | शुक्रवार | षष्टी | पुनर्वसु नक्षत्र | 05:34 - 19:06 |
13 मई 2019 | सोमवार | नवमी | मघा नक्षत्र | 15:21 - 19:07 |
15 मई 2019 | बुधवार | एकादशी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 10:36 - 21:28 |
16 मई 2019 | गुरूवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र | 05:30 - 08:15 |
23 मई 2019 | गुरूवार | पंचमी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 05:27 - 20:46 |
24 मई 2019 | शुक्रवार | षष्टी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 05:26 - 20:42 |
29 मई 2019 | बुधवार | दशमी | उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र | 15:21 - 20:23 |
30 मई 2019 | गुरूवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र | 05:24 - 20:19 |
31 मई 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | अश्विनी नक्षत्र | 05:24 - 17:17 |
05 जून 2019 | बुधवार | द्वितीय | आर्द्रा नक्षत्र | 07:22 - 19:55 |
06 जून 2019 | गुरूवार | तृतीया | पुनर्वसु नक्षत्र | 05:23 - 09:55 |
07 जून 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | पुष्य नक्षत्र | 07:38 - 19:47 |
12 जून 2019 | बुधवार | दशमी | हस्त नक्षत्र | 06:06 - 19:28 |
13 जून 2019 | गुरूवार | एकादशी | चित्रा नक्षत्र | 16:49 - 19:24 |
14 जून 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | स्वाति नक्षत्र | 05:23 - 10:16 |
19 जून 2019 | बुधवार | द्वितीय | पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र | 05:23 - 19:59 |
विद्या ही वह साधन है जिसके आधार पर इंसान और जानवर में अंतर स्पष्ट होता है। समाज में यह जुमला अक्सर प्रयोग किया जाता है कि, पढ़े लिखे और अनपढ़ व्यक्ति की पहचान खुद ही हो जाती है। यानि कि विद्या एक ऐसा माध्यम है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के साथ ही उसके मानसिक स्तर और उसके आत्मविश्वास के बारे में बताती है। विद्या से ज्ञान प्राप्त होता है और यही ज्ञान व्यक्ति को निर्धन से धनी बनाने की ताकत रखता है। विद्या अर्जन से व्यक्ति में कई तरह के गुणों का विकास होता है और विद्या ही एक ऐसी पूंजी है जो जीवन के बुरे से बुरे दौर में भी व्यक्ति के साथ बनी रहती है, इसलिए विद्या को सच्चा धन भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में विद्या को सही समय पर शुरु करने के लिए विद्यारम्भ संस्कार कराया जाता है। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से विद्यारंभ एक बहुत महत्वपूर्ण और प्रचलित संस्कार है। आज हम आपको बताएंगे कि विद्यारंभ संस्कार क्यों जरूरी है और इसकी क्या मान्यताएं और विशेषताएं हैं।
हिंदू धर्म में हर शुभ काम को करने का सही मुहूर्त होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि शुभ कार्य को सही मुहूर्त पर किया जाए तो उसकी सफलता और फलदायी क्षमता बढ़ जाती है। विद्यारंभ संस्कार बाल्यावस्था में किया जाता है। जब शिशु होश संभालता है तब इस संस्कार को विधिपूर्वक संपन्न कराया जाता है। सामान्यतः यह विकास 5 वर्ष की आयु के आसपास होता है लेकिन आजकल के बच्चे समय से पहले ही परिपक्व हो जाते हैं जिसके चलते यह संस्कार आजकल पहले ही करा दिया जाता है। विद्यारंभ संस्कार शुभ तिथि, नक्षत्र, वार और पवित्र माह में संपन्न करने का विधान है। यदि बच्चे का सही मुहूर्त पर यह संस्कार किया जाए तो वह पढ़ाई में बहुत तेज होता है साथ ही वह तेजस्वी और ओजस्वी गुणों से भी ओत-प्रोत होता है। विद्यारंभ संस्कार धर्म, वेद और स्कूली शिक्षा अर्जित करने का प्रथम चरण कहा जाता है। इस संस्कार के संपन्न होने के बाद बालक शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहता है और उसकी पढ़ाई में रुचि भी बढ़ती है। इसलिए विद्यारंभ संस्कार को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण संस्कार बताया गया है।
विद्या शब्द का उद्भव वेदों से हुआ है। इस संस्कार को करने के बाद शिशु को कई तरह के लाभ मिलते हैं। यदि बच्चे का सही समय पर विद्यारंभ संस्कार किया जाए तो वह सच-झूठ, सही-गलत और शुभ-अशुभ में भलीभांति अंतर समझ पाता है। हिंदू और स्नातन धर्म को मानने वाले लोग विद्यारंभ संस्कार को अनिवार्य मानते हैं। कहते हैं कि चाहे घर में बालक जन्म ले या बालिका, विद्यारंभ संस्कार दोनों के लिए जरूरी होता है। इसे कराना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि विद्यारंभ संस्कार वो माध्यम है जिसके द्वारा बालक-बालिका में उन सभी संस्कारों को डाला जाता है
जिनके आधार पर उसकी शिक्षा मात्र ज्ञान न रहकर जीवन निमार्ण करने वाली हितकारी विद्या के रूप में विकसित हो सके। अमूमन 5 साल की उम्र में बच्चे का विद्यारंभ संस्कार किया जाता है। इस संस्कार के बाद शिशु शिक्षा के प्रति खिचांव महसूस करता है। विद्यारंभ के वक्त घर में होने वाले यज्ञ और हवन से बालक के मन में ज्ञान प्राप्ति के प्रति रुचि पैदा की जाती है और उसे इसका महत्व बताया जाता है। इस संस्कार से बच्चे के अंदर अक्षर ज्ञान, विषयों के प्रति रुचि और श्रेष्ठ जीवन की छवि देखने को मिलती है। इन्हीं विशेषताओं के आधार पर विद्यारंभ संस्कार को हिंदू धर्म में अनिवार्य माना जाता है।
विद्यारंभ मुहूर्त बालक की बाल्यावस्था में किया जाने वाला एक प्रमुख संस्कार है। ज्योतिष और पंडितों का कहना है कि विद्यारंभ संस्कार को सही दिन और सही मुहूर्त में ही करना चाहिए। ऐसा करने से यह संस्कार और भी ज्यादा फलता है। पंडित इस संस्कार को करने के लिए जब मुहूर्त निकालते हैं तो कई चीजों को ध्यान में रखते हैं। पंचाग के आधार पर विद्यारंभ संस्कार के लिए सही मुहूर्त निकाला जाता है। पंडित बच्चे की राशि और कुंडली के आधार पर ग्रहों की चाल, नक्षत्र की दिशा और अन्य चीजें देखते हैं। आज के समय में शुभ मुहूर्त देखने के लिए पंचाग और ज्योतिष के अलावा भी कई अन्य विकल्प मौजूद हैं। आजकल हमारे घरों में जो कैलेंडर आते हैं उनमें शुभ दिन, शुभ घड़ी और शुभ समय के बारे में विस्तार से बताया होता है जिसकी मदद से आप खुद भी मुहूर्त देख सकते हैं। इसके अलावा मुहूर्त देखने में इंटरनेट भी काफी मददगार साबित हो रहा है। कई ऐसी साइट्स हैं जो सही मुहूर्त के बारे में विस्तार से बताती हैं। यही नहीं इसके लिए आप इंटरनेट के अलावा गूगल प्ले की भी मदद ले सकते हैं। क्योंकि वहां कई ऐसी एप्लीकेशनस हैं जो आपको विद्यारंभ के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी मिनटों में दे देंगी। जो लोग पढ़े लिखे हैं उनके लिए इन एप्स को प्रयोग करना बहुत आसान होता है। यदि आपको इसके बावजूद कुछ समझ नहीं आता है तो आप पंडित की भी सलाह ले सकते हैं।
विद्यारंभ संस्कार के लिए ज्योतिषों के तथ्यों को गौर से देखकर यह निष्कर्ष निकलता है कि ज्यादातर ज्योतिष इस संस्कार के लिए चैत्र-वैशाख शुक्ल तृतीया, माघ शुक्ल सप्तमी तथा फाल्गुन शुक्ल तृतीया को शुभ फलदायी मानते हैं। विद्यारंभ के दिन घर में गुरू पूजा कराने से बहुत लाभ मिलता है, क्योंकि छात्र अपने गुरू से ही शिक्षा प्राप्त करते हैं। अमावस्या, चतुर्दशी, प्रतिपदा, सूर्य संक्रांति और अष्टमी के दिन विद्यारंभ संस्कार नहीं करना चाहिए। पूजा के वक्त बच्चे की पढ़ाई से संबंधित सभी चीजों को रखना बहुत शुभ माना जाता है। जिसमें भगवान गणेश, माता सरस्वती, लेखनी, पट्टी और गुरू की पूजा की जाती है। रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार विद्यारंभ संस्कार के लिए बेहद शुभ दिन माने जाते हैं। पहले के समय में विद्यारंभ संस्कार गुरुकुल में संपन्न कराए जाते थे। लेकिन आजकल यह घर या किसी पवित्र स्थल में कराए जाते हैं। इस दौरान घर में यज्ञ, हवन और पूजा-पाठ के बीच बच्चों को वेदों का अध्ययन कराया जाता था।
विद्यारंभ संस्कार को शास्त्रों अनुसार धार्मिक कर्म माना गया है इसलिए इसकी क्रिया पूरे विधि-विधान से पालन करने पर बच्चों को शिक्षा में सहायता मिलती है।